अभिजीत मिश्र

Welcome to Suvichar Sangrah सफलता हमारा परिचय दुनिया को करवाती है और असफलता हमें दुनिया का परिचय करवाती है :- प्रदीप कुमार पाण्डेय. This is the Only Official Website of सुविचार संग्रह     “Always Type www.suvicharsangrah.com . For advertising in this website contact us suvicharsangrah80@gmail.com.”

Sunday, November 10, 2024

सर्व प्रथम अपनी सेवा और सहायता

November 10, 2024 0 Comments
🔹 इसमें कोई सन्देह नहीं की इस जगत में अनेक प्रकार के पुण्य और परमार्थ हैं। हमारे शास्त्रों में अनेक प्रकार के धर्मिक अनुष्ठानों का सविस्तार विधि विधान है और उनके सुविस्तृत महात्म्यों का वर्णन है। दूसरों की सेवा सहायता करना पुण्य कार्य है, इससे कीर्ति आत्म संतोष तथा सद्गति की प्राप्ति होती है। परन्रतु इन सबसे बढ़ कर भी...

Wednesday, May 29, 2024

आइये स्वयं को पहचानें

May 29, 2024 0 Comments
   खुद के परिश्रम और पुरुषार्थ के   अभाव में जीवन की उन्नति एवं उत्थान के रसस्ते स्वयं अवरूद्ध ही नहीं बंद हो जाते हैं। दूसरे हमें केवल सलाह दे सकते हैं लेकिन उस पर चलना स्वयं हमें ही है। केवल हम ही इस दुनिया में खुद की किस्मत बदल सकते हैं। मात्र हम ही अपने चेहरे पर मुस्कुराहट ला सकते हैं एवं केवल हम...

Tuesday, December 19, 2023

वास्तविक गुरु कौन.....?

December 19, 2023 0 Comments
 वास्तविक_गुरू_कौन_?विचार_करें ।#बिना_पढ़े_पसंद_या_टिप्पणी_ना_करें "गुरू जी" एक बहुत ही सम्मानित शब्द है।जिसके सम्मान में हमारा मस्तक स्वतः श्रद्धा से झुक जाए। जो अज्ञानरूपी अन्धकार को मिटा दे, उसका नाम "गुरू" है।लेकिन, मुझे लगता है कि शायद हम लोगों ने आजकल गुरू की परिभाषा ही बदल दी है।जहाँ तक मैं समझता हूँ कि...

Monday, September 4, 2023

स्वयं के दुर्गुणों से लडना होगा

September 04, 2023 0 Comments
संसार में कोई किसी को उतना परेशान नहीं करता, जितना कि मनुष्य के अपने "दुर्गुण" और "दुर्भावनाएं। दुर्गुण रूपी शत्रु हर समय मनुष्य के पीछे लगे रहते हैं, वे किसी भी क्षण उसे चैन नहीं लेने देते।संसार में हर व्यक्ति अपने को पूर्ण निर्दोष और पूर्ण बुद्धिमान मानता है। न ही उसे अपनी त्रुटियाँ समझ आती हैं और न अपने में दोष दिखलाई...

पारिवारिक संतुलन

September 04, 2023 0 Comments
 परिवार में सब लोग एक स्वभाव के नहीं होते। पुर्व जन्मों से संग्रह अनुसार उनके स्वयं के स्वभाव-संस्कार होते हैं । अतः परिवार का मुखिया अपनी रूचि के अनुसार परिवार के सभी सदस्यों को मिट्टी के खिलौने की तरह नहीं ढाल सकता है । इसलिए बुद्धिमान व्यक्ति उस व्यक्ति को ही स्वीकार करते हैं जिससे अधिक से अधिक सामंजस्य बनाया जा...

Tuesday, May 9, 2023

स्वयं का सुधार

May 09, 2023 0 Comments
               स्वयं का सुधार करने के यदि हम इच्छुक हैं तो स्वयं का सुधार करने के लिए सबसे आवश्यक और पहला कदम है कि हम पहले अपनी समीक्षा करें।            यदि हम स्वयं का सुधार करना आवश्यक समझते हैं तो सर्वप्रथम हमें ईमानदारी से स्वयं की समीक्षा करने...

Wednesday, April 19, 2023

सत्य का मार्ग

April 19, 2023 0 Comments
 जब बात सत्य के मार्ग की आती है तो सत्य के मार्ग को सामान्यतः शान्ति का मार्ग आम जन समझते हैं। जब कि वर्तमान समय में सत्य इसके ठीक विपरीत है क्योंकि वर्तमान परिवेश में सत्य का मार्ग शांति का मार्ग कभी भी हो ही नहीं सकता । वर्तमान समय की माँग यह है कि जिसे सुख, शांति और प्रसिद्धि की चाहत है, वह भूलकर भी सत्य को धारण...

Friday, April 14, 2023

संयुक्त परिवार

April 14, 2023 0 Comments
       संयुक्त परिवार सामान्यतः एक बृहत् परिवार है।  एकल परिवारों का ऐसा समूह जिसके सदस्यों की रसोई,पूजा  एवं संपत्ति सामूहिक होती है उसे ही सयुंक्त परिवार कहते है। संयुक्त परिवार के अंतर्गत दादा, दादी, माता- पिता, चाचा- चाची और उनके बच्चे सभी साथ रहते हैं।कभी संयुक्त परिवार को ही सम्पूर्ण...

Thursday, April 6, 2023

दान

April 06, 2023 0 Comments
 सामान्यतया हम दान का मतलब किसी को धन देने से लगा लेते हैं। धन के अभाव में भी हम दान कर सकते हैं। तन और मन से किया गया दान भी उससे कम श्रेष्ठ नहीं है।       किसी भूखे को भोजन, किसी प्यासे को पानी, गिरते हुए को संभाल लेना, किसी रोते बच्चे को गोद में उठा लेना, उसे हँसा देना , किसी अनपढ़ को साक्षर...

Monday, February 13, 2023

१४ फरवरी/वेलेंटाइन डे:-

February 13, 2023 0 Comments
वेलेंटाइन डे - भारतीय संस्कृति के साथ युवाओं का चारित्रिक पतनवेलेन्टाइन डे वह दिन है जिस दिन हमारे युवा मित्र(युवक/युवतियां) अर्थी निकालते हैं अपने माता-पिता/परिवार के संस्कारों और भारतीय संस्कृति का ।ऐसे त्यौहार या उत्सव भारतीय नहीं हैं जो अपने परिवार और माता पिता के संस्कारों को बीच चौराहे पर नीलाम कर दें। यह पर्व आधुनिकता...

Friday, October 21, 2022

भौतिक संसाधन और संयम का सामन्जस्य है आवश्यक

October 21, 2022 0 Comments
 अक्सर हम सब कहते सुनते हैं बड़ा संकट है, रोटी, कपड़ा, दवा और मकान जैसी अनिवार्य आवश्यकता भी पूर्ण नहीं हो पा रही हैं । बड़ी सहजता से कह देते हैं यह पुरा नहीं हो पा रहा, वह पुरा नहीं हो पा रहा है । कुछ हद तक कुछ व्यक्ति के साथ यह संभव है ऐसा भी हो, लेकिन बहुत बड़ी कमी यह है कि हम लोग अपना दोष स्वीकार नहीं करते न स्वीकार...

Friday, October 7, 2022

बुज़ुर्गों का अकेलापन ।

October 07, 2022 0 Comments
अकेलापन क्या होता है, अकेले रहने पर कैसा महसूस होता है क्या हमने/आज की युवा पीढ़ी ने कभी सोचा है या जानने की कोशिश की है??शायद नहीं!यदि अकेलेपन और उसके दर्द/एहसास को समझना है तो कभी घर के उस अकेले बुज़ुर्ग से पूँछना होगा, जिसे पूरी रात नींद नहीं आती है और हम पूरी रात आराम से सोते हैं और सुबह उठकर बड़े आराम से उन्हें कहते...

Saturday, June 4, 2022

सूने होते मकान, मोहल्ले, गाँव, कस्बे

June 04, 2022 0 Comments
सूने होते गाँव, कस्बों के मकान, मोहल्लों का जिम्मेदार कौन आइये लेखक का विचार समझने का प्रयास करते हैं सुविचार संग्रह ( suvicharsangrah.com ) पर ......         शायद हमने कभी ध्यान से देखा ही नहीं या फिर हमारा गली मुहल्ले से इतनी आवश्यकता नहीं पड़ती या हम कोई रिश्ता ही नहीं रखते गली मुहल्ले या अपने...

Monday, May 30, 2022

प्रेम

May 30, 2022 0 Comments
प्रेम को शायद परिभाषित तो नहीं किया जा सकता, यह भी कहा जा सकता है कि प्रेम को परिभाषित करने की योग्यता लेखक (प्रदीप कुमार पाण्डेय) में नहीं है परन्तु सुविचार संग्रह (suvicharsangrah.com) पर इस लेख के माध्यम से प्रेम को समझने का प्रयास लेखक द्वारा किया गया है।    प्रेम मात्र दो अक्षर का अत्यंत छोटा शब्द है लेकिन...

Wednesday, March 23, 2022

महाभारत के पात्रों से प्राप्त शिक्षा

March 23, 2022 0 Comments
 यदि हम शिक्षा ग्रहण करना चाहें तो हमारी प्रत्येक गलती, हमारे जीवन और समाज का हर एक व्यक्ति चाहे वह कितना भी बुरा हो हमें कोई न कोई शिक्षा देने की क्षमता रखता है आवश्यकता मात्र है हमें अपने अन्दर सकारात्मक दृष्टिकोण और सीखने की इच्छा जागृत करने की ।          सरल शब्दों में कहें तो हमारे धार्मिक...
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